तौबा करके गुनाह करते हैं
काम कितना सियाह करते हैं
उनका रुतबा बुलंद होता है
जो फकिरी में निबाह करते हैं
ये मुक्कदर का खेल है शायद
न मिले उसकी चाह करते है
उनकी नजरों को भा गया उसपे
वो करम बे पनाह करते हैं
तल्ख लम्हों की चोट को मासूम
हंसते हंसते निबाह करते हैं
मासूम मोडासवी