हे नारी ! तुम नारायणी ,जगदंबा भवानी हो।
तुम्ही ही तो हो कल्यानकारी देवी।
तुम चाहो तो धरती पर स्वर्ग बन सकता हो।
और, तुम चाहो तो धरती रेगिस्तान भी बन सकती है।
तुम सर्वेश्र्वरी हो…।
मुश्किल वक्त हो,या युद्ध संग्राम हो,
तुम्ही से ही तो बनती है उम्मीद की लकीरें ।
आन पड़ी हैं, विपदा जग पर ।
तुम शांत बैठ नहीं सकती हो अब।
मंडरा रहा है कोरोना का खोफ चारोंओर,
तुम्ही ही तो सुजा सकती हो कोई विकल्प।
कोरोना हो रहा है सशक्त,
डटकर मुकाबला करना है हमें।
तुम संवारती हो स्वयंको ,
अपने आत्मविश्वाससे….तो…
तुम्ही तो कर सकती हो,कोरोना का खोफ को कम।
रोक लो उन आवारा बच्चों को,
जो कोरोनाको खिलौना समझ कर खेलने निकला है कोरोन्टाईन में।
उसे समझाओ की बाहर कातिल हवा चल रही हैं।
दे दो लोकडाउन में अपने परिवार कासमर्थन ।
ताकि हम स्मशानो को सज़ा न सके ।
मुश्किल में है, हर कोई यहां,
डॉक्टर,नर्स, पुलिसकर्मी,
सैना , सफाईकर्मी,अनेकानेक देशभक्त यहां।
अब नहीं बढ़ानी है, उनकी मुश्किलें।
वो भी तो इंसान हैं,
दिल बहलाने के लिए घर में भीवजह है काफी।
संभालो अपने परिवार को.. तनिक होंसला दे दो उन सबको …
जो कोरोनाका डटकर मुकाबला कर रहा है।
तुम कर सकती हो, क्योंकि तुम प्रतिभा शाली हो।
~ Jayshree shiyalwala