आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा है कि हरियाणा में सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ), 21 यूएलबी को ओडीएफ + और 13 यूएलबी को ओडीएफ ++ प्रमाणित किया गया है। पंजाब के सभी शहरों को ओडीएफ प्रमाणित किया गया है, 33 को ओडीएफ + और 17 को ओडीएफ ++ प्रमाणित किया गया है। चंडीगढ़ ओडीएफ ++ और 3 स्टार (जीएफसी) प्रमाणित है। पंजाब, हरियाणा और केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सभी वरिष्ठ अधिकारियों और आवास एवं शहरी मंत्रालय में सचिव ने इन राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश से अनुरोध किया है कि उनके सभी यूएलबी की स्थिति ओडीएफ + और ओडीएफ ++ हो। उन्होंने ऑनलाइन समीक्षा बैठक के दौरान यह भी कहा कि अपशिष्ट मुक्त शहर का दर्जा प्राप्त करने के प्रयास किए जाएं। हरियाणा सरकार की मुख्य सचिव सुश्री केशनी आनंद अरोड़ा, पंजाब सरकार की मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन, चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार श्री मनोज कुमार परिदा ने बैठक में भाग लिया। इसके अलावा आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के मिशन निदेशक भी इसमें शामिल हुए।
हरियाणा राज्य ने 71,000 इकाइयों के लक्ष्य के मुकाबले 65,829 (93%) आईएचएचएल यूनिटों का निर्माण और 10,394 सीटों के लक्ष्य के मुकाबले 11,374 सीटी / पीटी सीटों का निर्माण किया है। चंडीगढ़ ने 6,117 आईएचएचएल का लक्ष्य अर्जित किया और 976 के लक्ष्य की तुलना में 2,423 सीटी / पीटी सीटों का निर्माण किया है, जबकि पंजाब ने अब तक 1,00,157 (99%) आईएचएचएल और 6,435 सीटी / पीटी सीटों का निर्माण किया है। राज्यों से आईएचएचएल लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करने का अनुरोध किया गया है।
वर्तमान में चंडीगढ़ अपने सृजित 482 टीपीडी अपशिष्ट का 91%, जबकि हरियाणा अपने 4,895 टीपीडी अपशिष्ट का 50% प्रसंस्करण कर रहा है और पंजाब अपने 4,108 टीपीडी अपशिष्ट के 71% का प्रसंस्करण कर रहा है। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव ने इन राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेश से अपनी प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने का अनुरोध किया।
पंजाब और हरियाणा ने क्रमश: 97% एवं 94% घरों से अपशिष्ट संग्रह का लक्ष्य हासिल कर लिया है। चंडीगढ़ ने तो शत-प्रतिशत घरों से अपशिष्ट संग्रह का लक्ष्य हासिल कर लिया है। पंजाब के 77 प्रतिशत वार्डों में ठोस एवं गीले अपशिष्ट को अलग-अलग करने का काम सावधानीपूर्वक किया जा रहा है, जबकि हरियाणा के 65 प्रतिशत वार्डों में यह काम बड़े ध्यान से किया जा रहा है। इसी तरह चंडीगढ़ के 92 प्रतिशत वार्डों में ठोस एवं गीले अपशिष्ट को अलग-अलग करने का काम किया जा रहा है। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव ने राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश से ठोस एवं गीले अपशिष्ट को शत-प्रतिशत अलग-अलग करने का काम जल्द- से-जल्द सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में बदलावों की रूपरेखा के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि नए पुरस्कार का नाम ‘प्रेरक दौर सम्मान’ होगा। इस पुरस्कार के लिए पात्रता पैमाना अपशिष्ट को अलग-अलग करने, गीले अपशिष्ट के लिए प्रसंस्करण क्षमता, कचरे के पुनर्चक्रण, निर्माण एवं तोड़-फोड़ वाले अपशिष्ट के पुनर्चक्रण और गड्ढों की भराई में उपयोग किए जाने वाले अपशिष्ट के साथ-साथ विभिन्न शहरों की स्वच्छता स्थिति पर आधारित होगा। इसके तहत ‘दिव्य’, ‘अनुपम’, ‘उज्ज्वल’, ‘उदित’ और ‘आरोही’ रैंकिंग दी जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के अलावा किसी शहर में अपशिष्ट के निपटान का नजरिया बदलने से भी वह शहर सुंदर बन जाता है। उन्होंने राज्यों से इस दिशा में ठोस प्रयास करने को कहा। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव ने सुझाव दिया कि दो राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश को कम-से-कम ‘उज्ज्वल (चांदी)’ पुरस्कार प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
दोनों ही राज्यों के मुख्य सचिवों और चंडीगढ़ के सलाहकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों का विवरण दिया जिनमें अपशिष्ट का वैज्ञानिक प्रसंस्करण करना भी शामिल है। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश का प्रदर्शन बेहतर करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे और वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव ने मिशन के तहत प्रदर्शन बेहतर करने के लिए राज्यों द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की जिसकी बदौलत ‘स्वच्छ सर्वेक्षण, 2020’ में उनकी रैंकिंग सुधर गई। इससे शहरों के प्रति लोगों का नजरिया बदल जाएगा जिससे शहरों में आर्थिक अवसर सृजित होंगे। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि लोगों द्वारा ठोस एवं गीले अपशिष्ट को अलग-अलग करना ही स्वच्छता एवं समृद्धि की कुंजी है। उन्होंने इस संबंध में इंदौर शहर का उदाहरण दिया जहां एक बायो-मिथेनेशन प्लांट स्थापित किया जा रहा है जो नगरपालिका से हासिल किए जाने वाले गीले अपशिष्ट के लिए उसे भुगतान करेगा। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव ने राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश से लक्ष्यों को तय करने और इन्हें हासिल करने के लिए शहरों के साथ मिलकर काम करने का अनुरोध किया।