गर्व क्यों न हो मुझे?
आखिर मेरे देश के सर का ताज हैं हिंदी।
भाषाओं की परिभाषा, सैनिको की शान हैं हिंदी।
मधुरभाषिणी, माननीय और सरलता की पहचान हैं हिंदी।
माँ के जैसी दुलारी एकता का प्रतीक, बच्चे बड़े सबकी जान हैं हिंदी।
प्यार के खतो मैं हैं हिंदी , राष्ट्र के हितों मैं हैं हिंदी।
मन की बातों में हैं हिंदी।
सम्मान और अभिमान हैं मुझे हर एक भाषा का,
लेकिन मेरे लिखावे का पहला प्यार हैं हिंदी।
-सुचिता