बापू फिर से आओना,
इस देश को सही राह दिखाओना,
बिगड़ रहे हैं तुम्हारे देश के बच्चे,
उन्हें जरा अपनी लाठी दिखाओना,
बापू तूम फिर से आओना,
खेल रहे हैं सब खून की होली,
उन्हें अहिंसा का मार्ग दिखलाओना,
पिंख रही है तुम्हारे देश की बेटी,
इन्हें उन हवसखोरो से बचाओना,
बापू तुम फिर से आओना,
बिक रहा है झूठ सारे आम,
उन्हें सत्य का मार्ग दिखाओना,
भरे पड़े हैं भ्रष्टाचारी लोग,
उन्हें इस देश से निकालोना,
बापू तुम फिर से आओना,
खत्म किया जैसे काले गोरे का भेद,
ऊंच-नीच को भी इंसाफ दिलाओना,
मोह गए हैं सब पश्चिमीओ से,
उन्हें अपनी संस्कृति का राज बताओना,
बापू तुम फिर से आओना,
बिखरता जा रहा है हिंदुस्तान टुकड़ों में,
उनको अखंड भारत समझाओना,
बाहरी चीजों से आत्मनिर्भर बनना चाहता है यह भारत,
खादी और चरखें का महत्व ने इन्हें समझाओना,
बापू तुम फिर से आओना,
बापू तुम फिर से आओना..।
– अल्पेश प्रजापति