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स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय ने आज स्कूलों को फिर से खोलने के लिए एसओपी/दिशा-निर्देशों को जारी किया

Gujarat Patrika by Gujarat Patrika
October 6, 2020
in राष्ट्रीय, शिक्षण, हिंदी समाचार
Reading Time: 1 min read
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स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय ने आज स्कूलों को दोबारा खोलने के लिए एसओपी/दिशा-निर्देशों को जारी किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से स्कूलों को दोबारा खोलने के लिए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) की एसओपी/ दिशा-निर्देशों की घोषणा की।

स्कूलों को फिर से खोलने के लिए स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की एसओपी/दिशा-निर्देशों के प्रमुख बिंदु संक्षेप में

  • दोबारा खोलने (रिओपनिंग) के लिए गृह मंत्रालय के आदेश संख्या 40-3/2020-डीएम-I(ए) दिनांक 30.09.2020 के पैरा-1 के अनुसार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें संबंधित स्कूलों/संस्थानों के प्रबंधन के साथ विचार-विमर्श करके और स्थानीय स्थिति के आधार पर 15.10.2020 के बाद स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को क्रमबद्ध तरीके से दोबारा खोलने के बारे में फैसले कर सकती हैं।
  • भाग- I स्कूलों को दोबारा खोलने के स्वास्थ्य और सुरक्षा पक्षों से संबंधित है। ये स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से जारी निर्देशों पर आधारित हैं और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थानीय स्थिति के अनुसार अपनाते/अनुकूल बनाते हुए लागू किया जा सकता है।
  1. स्कूल परिसर में सभी जगहों, फर्नीचर, उपकरण, स्टेशनरी, भंडारण की जगहों, पानी की टंकियों, रसोई, कैंटीन, वॉशरूम, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों इत्यादि की पूरी तरह से सफाई और कीटाणुमुक्त बनाने की व्यवस्था करना और उसे लागू करना।
  2. स्कूलों में जिम्मेदारियों के बंटवारे के साथ-साथ आपातकालीन देखभाव सहायता/प्रतिक्रिया टीम, सभी हितधारकों के लिए सामान्य सहायता टीम, साजोसामान सहायता टीम और स्वच्छता जांच टीम जैसे कार्य दल बनाना मददगार होगा।
  3. सुरक्षा और शारीरिक/सामाजिक दूरी की शर्तों के पालन और उनका ध्यान रखने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा जारी दिशानिर्देशों के आधार पर स्कूलों को अपनी खुद की एसओपी बनाने के लिए प्रोत्साहित और इस बारे में माता-पिता के लिए नोटिस/पोस्टर/संदेश/संचार को प्रमुखता से प्रदर्शित/प्रसारित किया जा सकता है।
  4. बैठने की योजना (सिटिंग प्लान) बनाते समय शारीरिक/सामाजिक दूरी को सुनिश्चित करना चाहिए, समारोहों और कार्यक्रमों के आयोजनों से बचना, स्कूल में आने-जाने के समय और जगहों में अंतर रखना, अलग-अलग समय सारणी बनाना चाहिए।
  5. सभी छात्र और कर्मचारी फेस कवर/मास्क पहनकर स्कूल आएं और सभी जगहों पर लगातार पहने रहें, खास तौर पर तब जब कक्षा में हों या समूहों में कोई गतिविधि कर रहे हों जैसे कि मेस में खाना खाना, प्रयोगशालाओं में काम करना या पुस्तकालयों में बात करना।
  6. शारीरिक/सामाजिक दूरी को लागू करने के लिए उचित जगहों पर संकेतों और चिह्नों को प्रदर्शित करें। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को माता-पिता/अभिभावकों से अपने बच्चों/आश्रतों को स्कूलों में जाने से पहले सहमति लेनी चाहिए। अगर छात्र अपने माता-पिता की सहमति से घर से ही पढ़ाई करने के लिए इच्छुक हैं तो इसकी अनुमति दी जा सकती है।
  7. कोविड-19 से जुड़ी चुनौतियों के बारे में छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों, समुदाय के सदस्यों और छात्रावास के कर्मचारियों को संवेदनशील बनाएं और शिक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के आधार पर सभी हितधारकों की भूमिका तय करें।
  8. सभी कक्षाओं के लिए अकादमिक कैलेंडर बदलाव, विशेष तौर पर अवकाश (ब्रेक्स) और परीक्षा के संबंध में, की योजना बनाएं। स्कूलों के दोबारा खुलने से पहले सभी छात्रों की निर्धारित पाठ्यक्रम की किताबों तक पहुंच सुनिश्चित करें।
  9. छात्रों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए स्कूल में या संपर्क करने योग्य दूरी पर प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी/नर्स/डॉक्टर और सलाहकार की उपलब्धता सुनिश्चित करें। छात्रों और शिक्षकों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच कराई जा सकती है।
  10. छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त जानकारी जुटानी चाहिए। स्थानीय प्रशासन से राज्य और जिला हेल्पलाइन नंबर और निकटतम कोविड केंद्र और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अन्य संपर्कों की जानकारी लेनी चाहिए।
  11. बीमार पड़ने पर छात्रों और कर्मचारियों को घर पर रहने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उपस्थिति (अटेंडेंस) और रोग-अवकाश (सिक-लीव) की लचीली नीतियां बनाई और लागू की जा सकती हैं।
  12. कोविड-19 का संदिग्ध मामला पता लगाने पर तय प्रक्रिया (प्रोटोकॉल) के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए।
  13. सबसे ज्यादा असुरक्षित छात्रों (बेघर/विस्थापित छात्रों, दिव्यांग छात्रों और कोविड-19 से मृत्यु या अस्पताल में भर्ती होने से सीधे तौर पर प्रभावित परिवारों के बच्चों) पर ध्यान दें। विशेष जरूरत वाले छात्रों (सीडब्लूएसएन) की आवश्यकताओं के अनुसार सहायक उपकरणों और शिक्षण सामग्री की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
  14. बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतें पूरी करने और कोविड-19 प्रकोप के दौरान उनके प्रतिरक्षा तंत्र को सुरक्षित बनाए रखने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूलों में गर्म पकाया दोपहर का भोजन (मिड डे मील) और स्कूल बंद होने व गर्मी की छुट्टियों के दौरान पात्र बच्चों को इसके बराबर खाद्य सुरक्षा भत्ता देने की सलाह दी गई थी। शारीरिक/सामाजिक दूरी के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर पर्याप्त ध्यान दें।
  • भाग-II शारीरिक/सामाजिक दूरी के साथ अभ्यास और शिक्षा देने से जुड़े शैक्षणिक पहलुओं जैसे पाठ्यक्रम रिपोर्ट, अनुदेशात्मक भार, समय सारिणी और मूल्यांकन आदि से जुड़ा है। ये सलाहकारी स्वभाव के हैं। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने खुद के दिशानिर्देश बनाने में इनका उपयुक्त तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
  1. अभ्यास (सीखने) के परिणामों पर ध्यान रखने के साथ पूरे साल के लिए गतिविधियों का एक व्यापक वैकल्पिक कैलेंडर बनाएं। अकादमिक कैलेंडर को पूरे वर्ष के लिए उभरती परिस्थितियों के अनुसार दोबारा व्यवस्थित किया जा सकता है। संबंधित शिक्षा निदेशालय से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार व्यापक शैक्षणिक योजना बनाई जा सकती है। यह योजना एनसीआईआरटी की ओर से बनाए गए वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर के दिशानिर्देशों पर आधारित हो सकती है।

 

  1. स्कूलों को दोबारा खोलने के बाद इसके छात्रों का लगाव पैदा करने का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जा सकता है।

 

  1. शिक्षक कक्षा में आईसीटी (इंफॉर्मेशन एंड कम्यूनीकेशन टेक्नोलॉजी) को एकीकृत करने के लिए अपने कौशल को अवश्य निखारें, जहां तक संभव हो इसके लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाए जा सकते हैं।

 

  1. बच्चों को भी ईवीएस, भाषाओं, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कला जैसे विभिन्न विषय क्षेत्रों को पढ़ाने के दौरान विभिन्न अवधारणाओं को एकीकृत करके महामारी के बारे में संवेदनशील बनाया जा सकता है।

 

  1. शिक्षक छात्रों के साथ पाठ्यक्रम की स्पष्ट रूपरेखा की चर्चा अवश्य करें, (आमने-सामने के निर्देश (फेस टू फेस इंस्ट्रक्शन)/ अलग-अलग काम या पोर्टफोलियो देकर/समूह-आधारित परियोजना कार्य (ग्रुप-बेस्ड प्रोजेक्ट वर्क)/ ग्रुप प्रेजेंटेशन आदि के जरिए) अभ्यास के तौर-तरीके अपनाएं। इसमें इसके लिए लगने वाले समय, स्कूल आधारित मूल्यांकन, अवकाश आदि की तिथियां शामिल होनी चाहिए।

 

  1. सबसे ज्यादा असुरक्षित छात्रों (बेघर/विस्थापित छात्रों, दिव्यांग छात्रों और कोविड-19 से मृत्यु या अस्पताल में भर्ती होने से सीधे प्रभावित परिवारों के बच्चे) की विशेष जरूरतों को प्राथमिकता देने के लिए उन पर ध्यान दें.

 

  1. शारीरिक/सामाजिक दूरी और अन्य सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखने पर शिक्षण संसाधनों का विविधतापूर्ण उपयोग निर्भर करेगा। संसाधनों में सहकर्मी शिक्षण और अभ्यास (लर्निंग), वर्कबुक (कार्यपुस्तिका) और वर्कशीट (कार्यपत्रक), कक्षा में तकनीकी-आधारित संसाधनों का उपयोग, माता-पिता/दादा-दादी/बड़े भाई-बहनों को पढ़ाने के लिए सक्षम बनाना और समुदाय के स्वयंसेवियों की सेवाओं का इस्तेमाल करना आदि शामिल हो सकते हैं।

 

  1. इस संबंध में शिक्षकों और छात्रों की रुचि बढ़ाने के लिए डिजिटल और ऑनलाइन शिक्षा के लिए जारी ‘प्रज्ञाता’ दिशानिर्देशों का उपयोग किया जा सकता है। यदि राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों के पास क्रियाशील पाठ्यपुस्तकें है तो छात्रों और अभिभावकों को बताना होगा कि दीक्षा पर मौजूद क्यू आर कोड की ई-सामग्री को कैसे डाउनलोड करें और ऑफलाइन मोड में भी इसी का उपयोग करें।

 

  1. सभी शिक्षार्थियों द्वारा अभ्यास लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों, अभिभावकों और प्रशासकों को रचनात्मक मूल्यांकन (फॉर्मिटिव असेसमेंट) पर ध्यान देने की जरूरत है। रचनात्मक मूल्यांकन के बारे में समझ बढ़ाने और इसे प्रोत्साहन के लिए माता-पिता को संवेदनशील बनाने में एससीईआरटी/एनसीईआरटी के दिशानिर्देशों का उपयोग किया जा सकता है।

 

  1. स्कूलों को सुनिश्चित करना चाहिए कि लॉकडाउन के दौरान घर से पढ़ाई (होम बेस्ड स्कूलिंग) के बाद छात्रों को औपचारिक तौर पर स्कूल आकर पढ़ाई करने में कोई परेशानी न आए। स्कूल पुनर्व्यवस्थित स्कूल कैलेंडर को लागू कर सकते हैं और वार्षिक पाठ्यक्रम योजना (एसीपी) को नए सिरे से बना सकते हैं या फिर अन्य उपायों के साथ उपचारात्मक कक्षाएं (रिमेडियल क्लासेज) या स्कूल वापसी अभियान भी चला सकते हैं।
  2. अपने छात्रों की भावनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों, स्कूल सलाहकारों और स्कूल के स्वास्थ्यकर्मियों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। मनोदर्पण में कोविड महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सुरक्षा के लिए छात्रों, अध्यापकों और परिजनों को मनो-सामाजिक सहायता देने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को शामिल किया गया है।
  3. इन एसओपी/दिशानिर्देशों के आधार पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें स्कूलों को दोबारा खोलने के लिए और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारें जब कभी स्कूलों के संचालन को सुरक्षित घोषित करें तब सभी हितधारकों के प्रशिक्षण के लिए अपने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (एसओपी) बना सकती हैं
  4. स्कूल में सुरक्षित वातावरण के लिए जांचसूचियों को, जिनमें विभिन्न हितधारक शामिल हैं, लचीलापन लाने और शैक्षणिक योजना निर्माण व स्कूल संचालन के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  5. राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभाग स्कूलों के दोबारा खुलने से पहले डीआईईटी संकाय सदस्यों, स्कूल के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन कर सकते हैं।

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