हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक कमलेश पटेल जो दाजी के संबोधन से जाने जाते हैं, और जिन्होंने
“दी हार्टफुलनेस वे” और “नियति का निर्माण” नामक किताबें भी लिखी हैं ; और अभिनेता कबीर बेदी, जिन्होंने “स्टोरी आइ मस्ट टेल” नामक किताब लिखी है, यह दोनों इस सत्र में एक साथ पधारे हैंI इन दोनों के बीच किताबें, आध्यात्मिकता, ध्यान, योग व अपनी नियति के स्वयं ही रचनाकार होने जैसे कई विषयों पर बहुत ही रूचिकर बातचीत हुयीI कबीर बेदी जी ने बताया कि किस तरह उनके माता पिता ने बचपन में ही उनके अंदर आध्यात्मिकता के बीज बोये थे और किस तरह उस शिक्षा का उनके वयस्क के संघर्षों से जूझने में फायदा हुआI इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिकता और नियति के निर्माण जैसे विषयों को गहरायी से समझना था I
ध्यान और आध्यात्मिकता
चर्चा के दौरान कबीर बेदी जी ने अपने संघर्ष, हार, अंदरूनी ताकत और अपने एक बौद्ध भिक्षु होने के बारे में बातचीत कीI उन्होंने कहा कि बहुत ही कम उम्र में उन्हें विपासना ध्यान पद्धति को सीखने और अनुभव करने का भी मौका मिलाI इस कारण से अभी तक उनमें ध्यान द्वारा अपने मन का निरीक्षण करने की क्ष्मता कायम हैI चर्चा को आगे ले जाते हुए उन्होंने बताया कि ध्यान और आध्यात्मिकता से बहुत ही कम उम्र में साक्षात्कार होने के कारण उनकी अंदरूनी ताकत का काफी विकास हुआ और इसकी मदद से वह अपनी जिंदगी में आने वाली हर मुश्किल से जूझ पायेI दाजी ने बहुत ही विस्तार से हार्टफुलनेस ध्यान पद्धति और हमारे जीवन में उसके महत्व के बारे में बतायाI उन्होंने योगा के बारे में कुछ सलाह दिये और इस बात पर जोर दिया कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य हमारी जिंदगी में बहुत जरूरी है ताकि हम अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ते हुए फले-फुले।
योग को “हर मर्ज की एक दवा” बताये जाने का जो चलन है, उस बारे में हार्टफुलनेस के मार्ग दर्शक दाजी ने कहा, “आग लगने के बाद कुँआ खोदने का कोई फायदा नहीं हैI अब जब हम यह समझ गए हैं, तो यह हमारे लिये एक मौका है कि हम अपनी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक क्षमताओं को मजबूत करते हुए आध्यात्मिक उन्नति करेंI योग को हर मर्ज की एक दवा समझना गलत हैI ऐसा कुछ भी नहीं हैI अगर आप सिर्फ आसनों का अभ्यास करेंगे तो वह आपकी आत्मा पर किसी भी तरह की छाप नहीं छोड़ेगाI आसन और प्राणायाम सिर्फ हमारा शारीरिक स्वास्थ्य सुधारते हैंI यह योग का बस एक हिस्सा है, पूर्ण योग नहींI हमारे बाह्य शरीर की तुलना में हमारा मन, हमारी भावनाएँ और आध्यात्मिकता ज्यादा जरूरी हैं और हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अतिआवश्यक हैंI”
दाजी के साथ नियति के बारे में बातचीत करते हुए कबीर बेदी ने कहा, “मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूँ कि मैं दो विभिन्न संस्कृतियों का अनुभव करते हुए बडा हुआI एक संस्कृति मेरे पिता की वंशावली की देन थी तो दूसरी मेरी माता कीI दोनों ही संस्कृति आध्यात्मिकता के रंग में गहराई तक रंगे हैं और मेरे जीवन पर उनका काफी प्रभाव रहा हैI कई आध्यात्मिक गुरुओं के साथ मैंने बातचीत की और उनकी दी हुयी सीख को जीवन भर आत्मसात करने की कोशिश कीI “स्टोरीस आइ मस्ट टेल” उनके द्वारा गहराई तक महसूस किये हुए या अनुभव किये हुए कुछ पलों का संग्रह हैI यह मेरा असीम सौभाग्य है कि मुझे दाजी से बातचीत करने का अवसर मिला जिनके पास आध्यात्मिकता और योग के बारे में ज्ञान का अथाह भंडार हैI”
नियती क्या है?
कबीर बेदी “नियती” के बारे में दाजी के विचार जानने चाहेI उन्होंने पूछा, “क्या यह सच है कि नियति पूर्व निर्धारित होती है? जैसा कि ज्यादातर लोग समझते हैं, क्या नियति पूर्व निश्चित या पहले से ही तय होती है?” दाजी ने समझाया कि अगर नियति सचमुच एक पत्थर की लकीर है तो फिर हमारा पढाई करना, काम करना, अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करना सब व्यर्थ हैI अगर परिणाम पूर्व निश्चित हैं तो हमारे विचारों, इरादों या कर्मों का कोई उपयोग नहीं हैI पर यह सिर्फ अर्ध सत्य हैI “नियति हमारे कर्मों का फल हैI उदहारण के तौर पर, अगर मैंने फारमेसी की पढ़ाई नहीं की होती, अगर मैंने अपने आपको विकसित नहीं किया होता तो मैं अपनी पढ़ाई के फल का भागी नहीं होताI लेकिन यह भी सच है कि ऐसी कई सारी बाह्य शक्तियां और परिस्थितियां हैं जो हमारी नियति को प्रभावित कर सकते हैंI परंतु हम अपने विचार, इरादों, रवैय्या और कर्मों के द्वारा अपनी नियति को बदल सकते हैंI ऐसे कई कारण हैं जो हमारी नियति को कभी भी बदल सकते हैं, इनमें से कुछ हमारे बस में होते हैं और कुछ नहींI”
पूर्ण वार्तालाप आप निःशुल्क नीचे दिए हुए लिंक पर देख सकते हैं:
Kabir Bedi and Daaji | Stories I Must Tell – Life of an Actor – YouTube
“स्टोरीस आय मस्ट टेल” के बारे में:
यह किताब अभिनेता कबीर बेदी के संस्मरण उन्हींके शब्दों में हैI इस किताब में बेदी जी ने वो कहानियाँ बतायी जो उनके दिल के बेहद करीब हैंI बीटल्स ग्रुप के साथ दिल्ली में उनका पहला साक्षात्कार, अचानक बंबई स्थानांतरण, विज्ञापन की दुनिया में बिताए हुए उन रोमांचक वर्षों के किस्से, विदेशों में उनके काम को मिली असाधारण सफलता का जिक्र, अपनी सफलता और ढेर सारी दर्दनाक असफलताओं की यादेंI कबीर जी ने अपने जीवन के हर पहलू का बहुत ही खुल कर वर्णन किया है, चाहे वो उनके संबंधों के बारे में हो या फिर तलाक के बाद की दर्दनाक परिस्थितियां होंI आध्यात्मिकता के साथ बहुत ही कम उम्र में हुए साक्षात्कार और उनके अनुभवों के बारे में भी बतायाI यह किताब असाधारण रूप से सुस्पष्ट है और इसमें उन्होंने अपनी जीवनी पूरी खोल कर रख दी हैI यह कहानी दिल्ली के एक मध्यम वर्ग के परिवार के एक लड़के की है, उसके रोलर कोस्टर की तरह ऊपर नीचे व घुमावदार पथ पर किये हुए विश्व भ्रमण की बातेंI संक्षेप में यह किताब कबीर बेदी के बनने, बिखरने और फिर से बन कर खडे होने की कहानी हैI
हार्टफुलनेस इन्स्टिटय़ूट के बारे में:
हार्टफुलनेस राज योग पर आधारित ध्यान पद्धति है और इसे सहज मार्ग के नाम से भी जाना जाता हैI यह पद्धति बीसवीं सदी के अंतिम चरण में शुरू हुआ और सन 1945 में भारत में यह “श्री राम चंद्र मिशन” नाम से औपचारिक रूप से स्थापित हुआI इस पद्धति के लाखों अभ्यासी हैंI यह पद्धति स्वविकास केलिए दिये हुए कुछ क्रियाओं का संग्रह है, जो इस तेज चलन वाली दुनिया में हमें आंतरिक शांति और स्थिरता पाने में मदद करते हैंI बेहद सरलता से की जा सकने वाली यह क्रियायें 15 वर्ष से ऊपर के हर व्यक्ती (चाहे वो किसी भी संस्कृति, धर्म, आर्थिक वर्ग व सामाजिक तबके का हो) केलिए उपयुक्त हैI इस ध्यान पद्धति का प्रशिक्षण हजारों स्कूल और कॉलेज में दिया जा रहा है और अनेकों कंपनी, सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में 100,000 से भी ज्यादा व्यावसायिक लोग यह ध्यान कर रहे हैंI हजारों प्रमाणित प्रशिक्षकों की सहायता से विश्व के करीब 160 देशों में, 5000 से अधिक हार्टफुलनेस सेंटर जिन्हें “हार्ट स्पॉट” कहा जाता है चलाए जा रहे हैंI
वेस्टलॅन्ड पब्लिकेशन्स प्राइवेट लिमिटेड के बारे में :
1962 में स्थापित वेस्टलॅन्ड पब्लिकेशन्स, भारत में अंग्रेज़ी भाषा के सबसे बडे प्रकाशक हैंI लोकप्रिय उपन्यासों से लेकर बिजनस, राजनीति, जीवनी, आध्यात्मिकता, सामान्य विज्ञान, स्वास्थ्य और आत्मोन्नति जैसे अनेकों विषयों पर किताबों का इन्होंने प्रकाशन किया हैI “कौनटेक्स्ट” जो पुरस्कृत काल्पनिक और कथेतर साहित्य प्रकाशित करता है, “एका” जो विभिन्न भारतीय भाषाओं की उत्कृष्ट, आधुनिक रचनाओं और उनके अनुवादों को प्रकाशित करता है, “ट्रेनक्वाबार” जो हमारे भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे उत्कृष्ट और नए काल्पनिक कथाओं का घर है, “रेड पांडा” जो विभिन्न उम्र के बच्चों केलिए अलग अलग विषयों पर किताबें प्रकाशित करता है, और नामस्त्रोतिय “वेस्टलॅन्ड बिजनेस” और “वेस्टलॅन्ड स्पोर्ट”, यह सभी
“वेस्टलॅन्ड पब्लिकेशन्स” घराने के मुख्य अंग हैंI