राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से आज (16 दिसंबर, 2022) भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रोबेशनरों ने आज राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।
इस दौरान राष्ट्रपति ने अधिकारियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “सही सांख्यिकीय विश्लेषण के बिना नीति निर्माण और क्रियान्वयन प्रभावी नहीं हो सकता। अंतहीन सूचना और डेटा फ्लो के इस युग में सांख्यिकी की भूमिका और महत्व में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। जब हम किसी मानक के संबंध में भारत के स्थान के बारे में बात करते हैं, तो ये आंकड़े हैं। जब हम कहते हैं कि भारत युवाओं का देश है या इसका जनसांख्यिकी लाभ अधिक है, तो यह बात सांख्यिकी के आधार पर ही कही जाती है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी और गैर- सरकारी संस्थाओं के उपयोग के लिए केंद्रीय स्तर पर आधिकारिक आंकड़ों के संकलन में भारतीय सांख्यिकी सेवा के अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उनके कार्य में सांख्यिकीय विधियों में उच्च दक्षता की जरूरत होती है, जिसका उपयोग वे देश को आंकड़ों और सूचना को लेकर आवश्यकताओं के समाधान प्रदान करने के लिए करते हैं। राष्ट्रपति ने आगे बताया कि उनके प्रशिक्षण में विभिन्न मॉड्यूल जैसे कि डेटा माइनिंग, बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के हालिया अभिनव सहित विस्तृत क्षेत्रों को शामिल किया गया है। उन्होंने इस पर अपना विश्वास व्यक्त किया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्हें कुशलतापूर्वक अपने कर्तव्यों का अनुपालन करने में सक्षम बनाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के एक नए चरण की दहलीज पर है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों की बढ़ती पैठ ने सरकारी कामकाज में पारदर्शिता व दक्षता लाई है और ई-सरकार परिदृश्य को रूपांतरित कर दिया है। इन पहलों के माध्यम से आंकड़ों की उपलब्धता सरकार को प्रभावी निर्णय लेने में सहायता प्रदान करती है।
राष्ट्रपति ने अधिकारियों से ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ अपने कर्तव्यों का अनुपालन करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि भारत को अधिक प्रगति और विकास की ओर ले जाने में उनका योगदान काफी विशाल होने वाला है। राष्ट्रति ने अधिकारियों से कहा कि वे जिन सूचनाओं और डेटा का विश्लेषण प्रदान करते हैं, नीतियां बनाने व उन्हें लागू करने में सहायक होंगे, जो यह सुनिश्चित करता है कि विकास की यात्रा में कोई भी पीछे न रह जाए।
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