तेरी सुरत में है कशिश बहोत
बढाइ है जिसने खलिश बहोत
तु कर इनायत इस नाजिच पर
तेरे बिना अब है रंजिश बहोत
तुजे देख जि अपना भरता नहीं
तुजे पाने की है ख्वाहिश बहोत
बिना तेरे सुने हैं दिन रात मेरे
न कर अब तु आजमाइश बहोत
तेरा मिलना अबतो आसान करदे
नहीं होती मासूम काविश बहोत
मासूम मोडासवी