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बचपन को छीनने का हक – बाल श्रम

Gujarat Patrika by Gujarat Patrika
March 10, 2020
in Gujarat Patrika, राष्ट्रीय, विशेष, हिंदी समाचार
Reading Time: 1 min read
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बचपन को छीनने का हक – बाल श्रम
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एक कली के फूल बनने से पहले ना तोड़ना उसे,
उसकी खूबसूरती खो जाएगी।
बचपने के संभालने से पहले इन्हें ना झंझोरना,
उनकी मासूमियत बेमानी बन जाएगी।
इनके बचपन में जो ना रंग भर सको ना सही,
पर इनके बचपन को छीनने का हक भी तुम्हें नहीं।।
 
प्रस्तावना

बाल श्रम हमारे देश और समाज के लिए बहुत ही गम्भीर विषय है। आज समय आ गया है कि हमें इस विषय पर बात करने के साथ-साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारियाँ भी समझनी होगी। बाल मज़दूरी को जड़ से उखाड़ फेंकना हमारे देश के लिए आज एक चुनौती बन चुका है क्योंकि बच्चों के माता-पिता ही बच्चों से कार्य करवाने लगे है। आज हमारे देश में किसी बच्चे को कठिन कार्य करते हुए देखना आम बात हो गई है।

बाल मज़दूरी को बड़े लोगों और माफियाओं ने व्यापार बना लिया है। जिसके कारण दिन-प्रतिदिन हमारे देश में बाल श्रम बढ़ता जा रहा है और बच्चों का बचपन खराब हो रहा है। इस से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, साथ में देश में गरीबी फैलती है और देश के विकास में बाधाएँ आती हैं।

बाल श्रम भारत के साथ-साथ सभी देशों में गैर कानूनी है। बाल श्रम हमारे समाज के लिए एक कलंक बन चुका है। बाल मज़दूरी की समस्या समय के साथ-साथ बहुत उग्र रूप लेती जा रही है। इस समस्या को अगर समय रहते जड़ से मिटाया नहीं गया, तो इससे पूरे देश का भविष्य संकट में आ सकता है।

 

बाल श्रम या बाल मज़दूरी का अर्थ

जब कोई बच्चे को उसके बाल्यकाल से वंचित कर उन्हें मज़बूरी में काम करने के लिए विवश करते हैं, उसे बाल श्रम कहते हैं। बच्चों को उनके परिवार से दूर रखकर उन्हें गुलामों की तरह पेश किया जाता है।
दूसरे शब्दों में – किसी भी बच्चे के बाल्य-काल के दौरान पैसों या अन्य किसी भी लालच के बदले में करवाया गया किसी भी तरह के काम को बाल श्रम कहा जाता है। इस प्रकार की मज़दूरी अधिकतर पैसों या ज़रूरतों के बदले काम करवाया जाता है।

साधारण शब्दों में समझाया जाए तो जो बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के होते हैं, उनसे उनका बचपन, खेल-कूद, शिक्षा का अधिकार छीनकर, उन्हें काम में लगाकर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर, कम रुपयों में काम करा कर शोषण करके, उनके बचपन को श्रमिक रूप में बदल देना ही बाल श्रम कहलाता है।
बाल श्रम पूर्ण रूप से गैर कानूनी है। इस प्रकार की मज़दूरी को समाज में हर वर्ग द्वारा निंदित भी किया जाता है। भारत के संविधान 1950 के 24 वें अनुच्छेद के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मज़दूरी, कारखानों, होटलों, ढाबों, घरेलू नौकर इत्यादि के रूप में कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है, तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है। ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 मिलियन से भी ज्यादा बच्चे बाल मज़दूरी करते हैं। सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में बाल मज़दूरी होती है।

 

बाल श्रम या बाल मज़दूरी के कारण

(i) बाल मज़दूरी का सबसे बड़ा कारण हमारे देश में गरीबी का होना  है। गरीब परिवार के लोग अपनी आजीविका चलाने में असमर्थ होते हैं, इसलिए वे अपने बच्चों को बाल मज़दूरी के लिए भेजते है।
(ii) शिक्षा के अभाव के कारण अभिभावक यही समझते हैं कि जितना जल्दी बच्चे कमाना सीख जाए उतना ही जल्दी उनके लिए अच्छा होगा।
(iii) कुछ अभिभावक के माता पिता लालची होते हैं, जोकि स्वयं कार्य करना नहीं चाहते और अपने बच्चों को चंद रुपयों के लिए कठिन कार्य करने के लिए भेज देते है।
(iv) बाल श्रम को बढ़ावा इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि बच्चों को कार्य करने के प्रतिफल के रूप में कम रुपए दिए जाते हैं, जिसके कारण लोग बच्चों को काम पर रखना अधिक पसंद करते हैं।
(v) हमारे देश में लाखों की संख्या में बच्चे अनाथ होते हैं, बाल श्रम बढ़ने का एक कारण यह भी है। कुछ माफिया लोग उन बच्चों को डरा-धमका कर भीख माँगने और मज़दूरी करने भेज देते हैं।
(vi) कई बार बच्चों की पारिवारिक मजबूरियां भी होती है क्योंकि कुछ ऐसी दुर्घटनाएँ हो जाती है जिसके कारण उनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं रहता है इसलिए उन्हें मज़बूरी वश बचपन में ही होटलों, ढाबों, चाय की दुकान, कल कारखानों में मज़दूरी करने के लिए जाना पड़ता है।
(vii) भारत में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिसके कारण जरूरत की वस्तुओं का मूल्य दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जिसके कारण गरीब लोग अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पाते हैं, इसलिए परिवार के सभी सदस्यों को मज़दूरी करनी पड़ती है, जिसमें बच्चे भी शामिल होते हैं इसलिए ना चाहते हुए भी बच्चों को परिश्रम करना पड़ता है।
(viii) बाल मज़दूरी का एक कारण भ्रष्टाचार भी है, तभी तो बड़े-बड़े होटलों, ढाबों और कारखानों पर उनके मालिक बिना किसी भय के बच्चों को मज़दूरी पर रख देते हैं, उन्हें पता होता है कि अगर पकड़े भी गए तो वे घूस देकर छूट जाएँगे, इसीलिए भ्रष्टाचार बाल मज़दूरी में एक अहम भूमिका निभाता है।
(ix) भारत सरकार ने बाल मज़दूरी को रोकने के लिए कानून तो बनाए हैं, लेकिन उन कानूनों में काफी खामियाँ हैं, इसका फायदा उठाकर लोग बाल श्रम को अंजाम देते है और कई बार तो कानून का नियम पूर्वक पालन भी नहीं किया जाता है।

 

बाल श्रम या बाल मज़दूरी के दुष्परिणाम

(i) जीवन का सबसे अच्छा पल बचपन ही होता है जब हम बच्चे होते हैं तो हमें किसी भी बात की चिंता नहीं रहती है। हम खिलौने से खेलते हैं और सभी लोग हमें प्यार करते हैं साथ ही हम जो चाहे पढ़ सकते हैं। लेकिन जिन बच्चों को बाल मज़दूरी के काम में लगा दिया जाता है वह कभी भी खेल नहीं पाते हैं और अपना मनचाहा काम नहीं कर पाते है। जिसके कारण उनका पूरा बचपन मज़दूरी के काम करने में बीत जाता है।
(ii) बाल मज़दूरी करने वाले बच्चे अक्सर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके मालिक उनसे काम तो ज्यादा करवाते है लेकिन उन्हें खाने को कुछ भी नहीं देते। जिसके कारण उनके शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और वे धीरे-धीरे कुपोषण के शिकार हो जाते है।
(iii) बाल मज़दूरी करते समय कई बच्चे और बच्चियों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है जोकि उनके ऊपर दोहरी मार है। एक रिपोर्ट के अनुसार बाल मज़दूरी करने वाले बच्चों में से लगभग 40% बच्चों का शारीरिक शोषण किया जाता है। यह बहुत ही गंभीर बात है लेकिन इस पर कभी भी ध्यान नहीं दिया जाता।
(iv) मज़दूरी करते समय बच्चों से अक्सर गलतियाँ होती रहती हैं। गलतियाँ तो बड़े लोगों से भी होती है लेकिन बच्चों को डाँट लगाना आसान होता है इसलिए उन से काम कराने वाले उनके मालिक उन्हें मानसिक प्रताड़ना देते है। जो कि एक छोटे से बच्चे के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालती है।
(v) बच्चों के माता-पिता बचपन में तो कुछ रुपयों के लिए अपने बच्चों को मज़दूरी पर लगा देते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि अगर वे पढ़ेंगे लिखेंगे नहीं तो उन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी और वे पूरी जिंदगी भर मज़दूरी करनी पड़ेगी। जिसके कारण उनका पूरा जीवन गरीबी में बीतेगा।
(vi) ज्यादातर गरीब परिवार के बच्चे पढ़ लिख नहीं पाते हैं, इसी कारण वे अच्छी नौकरी नहीं कर पाते और देश के विकास में सहयोग नहीं कर पाते इसलिए देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाता है।
(vii) जहाँ पर बच्चों से मज़दूरी कराई जाती है, वहाँ के लोग अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। साथ ही उनका रहन-सहन भी अच्छा नहीं होता है। जिसके कारण बच्चे भी उन्हीं के साथ रहने के कारण उनकी भाषा और उन्हीं के जैसा रहन-सहन करने लग जाते हैं और उनकी मानसिक स्थिति भी कमजोर हो जाती है जिसके कारण एक अच्छे समाज का विकास नहीं हो पाता है।
(viii) बच्चा अशिक्षित रह जाता है। देश का आने वाला कल अंधकार की ओर जाने लगता है। इसके साथ ही बेरोज़गारी, गरीबी और अधिक बढ़ने लगती है।
(ix) बच्चों से काम करवाने से बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास रुक जाता है।

 

बाल श्रम या बाल मज़दूरी की रोकथाम के उपाय

बाल श्रम हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है जो हमारे समाज को अन्याय मुक्त नहीं बनने देगा। हमें हमेशा इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि बच्चे से काम करवाने के बदले उसे पैसे देकर या खाना देकर हम उस पर कोई एहसान नहीं करते हैं बल्कि हम उस के भविष्य से खेलते हैं।
(i) बाल श्रम को खत्म करने के लिए सबसे पहले हमें अपनी सोच को बदलना होगा। बाल श्रम का अंत करने के लिए सबसे पहले अपने घरों या दफ्तरों में किसी भी बच्चे को काम पर नहीं रखना चाहिए।
(ii) बाल श्रम को रोकने के लिए मजबूत और कड़े कानून बनाने चाहिए। जिससे कोई भी बाल मज़दूरी करवाने से डरे।
(iii) अगर आपके सामने कोई भी बाल श्रम का मामला आए तो सबसे पहले नज़दीकी पुलिस स्टेशन में खबर करनी चाहिए।
(iv) हमें बाल श्रम को पनाह देने वाले पत्थर दिलों के विरुद्ध अपनी आवाज़ को बुलंद करना चाहिए।
(v) आम आदमी को भी बाल मज़दूरी के विषय में जागरूक होना चाहिए और अपने समाज में इसे होने से रोकना चाहिए।
(vi) गरीब माता-पिता को अपने बच्चों की शिक्षा की ओर पूरा ध्यान देना चाहिए क्योंकि आज सरकार मुफ्त शिक्षा, खाना और कुछ स्कूलों में दवाईयाँ जैसी चीजों की सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं।
(vii) कारखानों और दुकानों के लोगों को प्रण लेना चाहिए कि वो किसी भी बच्चे से मज़दूरी या श्रम नहीं करवाएँगे और काम करवाने वाले लोगों को रोकेंगे।
(viii) हम जब भी कोई सामान खरीदें तो पहले दुकानदार से उसकी तकनीक के बारे में ज़रुर पूछें। हम इस प्रश्न को पूछ कर समाज में सचेतना का एक माहौल पैदा कर सकते हैं। हमें बाल श्रम की बनाई गई किसी भी वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
(xi) अगर हमें किसी भी बाल श्रम का पता चले, उसके बारे में सबसे पहले बच्चे के परिवार वालों से बात करनी चाहिए। उनके हालातों को समझकर उनके बच्चे के भविष्य के बारे में उन्हें बताना चाहिए। बच्चों के परिवार वालों को बाल श्रम के नुकसान और कानूनी जुर्म के बारे में बताना चाहिए।
(x) हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था में आज भी सुधार नहीं है। जिसके कारण ग्रामीण इलाकों और बिछड़े हुए इलाकों के बच्चे आज भी पढ़ लिख नहीं पाते हैं। जिसके कारण वह बचपन में ही बाल मज़दूरी का शिकार हो जाते हैं।
(xi) भ्रष्टाचार के कारण बाल श्रम करवाने वाले अपराधी आसानी से छूट जाते हैं या फिर उन्हें गिरफ्तार ही नहीं किया जाता। जिसके कारण छोटे बच्चों को मज़दूरी करनी पड़ती है इसलिए हमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगानी चाहिए।
(xii) हमारे समाज में बहुत से अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन हमें और अच्छे व्यक्तियों की आवश्यकता है जो कि कम से कम एक गरीब बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठा सके क्योंकि जब तक हम हमारे समाज की जिम्मेदारी नहीं लेंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता क्योंकि अकेली सरकार सब कुछ नहीं कर सकती, इसलिए हमें आगे बढ़कर गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई में मदद करनी चाहिए।

 

बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्य

सरकार देश को बाल श्रम से पूर्णतः मुक्त करवाने के लिए अनेक कानून बनाती आई है। लेकिन जब तक हम और आप उन कानूनों का सही ढंग से अनुसरण नहीं करेंगे तब तक देश को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त कराना संभव नहीं है। सरकार द्वारा बनाए गए कुछ कानून –
(i) The Child Labour (Prohibition and regulation) (निषेध और विनियमन) Act 1986 – बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए हमारी सरकार द्वारा 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया गया है जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से कार्य करवाना दंडनीय अपराध माना जाएगा।
(ii) The Juvenile Justice (Care and Protection) (देखभाल और संरक्षण) of Children Act of 2000 – इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति बच्चों से मज़दूरी करवाता है या फिर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
(iii) The Right of Children to Free and Compulsory education Act, 2009 – यह कानून वर्ष 2009 में बनाया गया था, जिसके अंतर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी, साथ ही प्राइवेट स्कूलों में भी गरीब और विकलांग बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित होंगी।

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