लगातार रामायण, महाभारत और चाणक्य सीरियल देखने के पश्चात बाहर जाने के लिए जैसे ही मैंने एक्टिवा स्टार्ट की, तभी आकाश मार्ग से एक आकाशवाणी हुई –
“हे आर्यपुत्र!! तुम ने जिस दिशा की और प्रस्थान करने का विचार किया है, उस मार्ग पर कुछ दूरी पर ही सजग प्रहरी अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित खड़े हैं!! कृपया अपनी व्याकुलता को त्याग कर इस विकट परिस्थिति में संयम का परिचय दे | अपनी कुटिया में ही विश्राम करे, अन्यथा आपके पुठ्ठे पर लठ्ठ प्रहार होना सम्भव है, जिस से अत्यंत पीढ़ा उतपन्न हो सकती है!!”
बस, वापस लौट आया …..