मेरे दोस्तों, माँ-बाप,
सभी मज़हब, मेरा निर्जीव समाज!
मैं आप सबसे बहुत मोहब्बत करता हूँ!
आप लोगो के लिए ही इबादत करता हूँ!
आप कहते है आपके साथ बुरा हुआ!
जीवन जिंदगी मिटके संघर्ष का धुआँ हुआ!
गरीबी से लड़ते लड़ते बर्बाद सा हुआ!
ज़िंदा होती हुए भी अधमुआ हुआ!
मैं आपके जज़्बातो को समझता हूँ!
आपकी हर बात को अपने सिर का ताज करता हूँ!
सालों से उसके लिए ही जी रहा हूँ!
आपके ख़्वाबों को पुरा करने खुद के ख़्वाब ही बेच रहा हूँ!
आप हर दम खफा रहते है!
ज़रा ज़रा सी बात पर तौबा करते है!
मैं क्या करुँ?
मैं सालों से आँशु को हसी करने में लगा हूँ!
आपको ख़ुशी मिले उस वजह से बिकने लगा हूँ!
आपकी तकलीफ़ मेहसूस कर कर के हसना भूल गया हूँ!
आपको ख़ुश करने में खुद खिलना भूल गया हूँ!
मैं हार गया हूँ ज़िद के सामने!
मैं हार गया हूँ आपके रीती रिवाजो के सामने!
मैंने सब छोड़ा, दुनिया छोड़ी दिन छोड़ा!
जिससे प्यार था उसका भी हाथ छोड़ा!
मैं कोशिश का दामन पकड़ा हुआ हूँ!
आपके सपनों के दरवाज़ों को खोलने में लगा हुआ हूँ!
ज़िंदा लाश की शक्ल इख़्तेयार कर चूका हूँ!
अपराध भाव की क़ब्र में दफ़न खुद को कर चूका हूँ!
~ बुरहान