हमने चाही कुछ करीबी क्या करें
बढ गइ दुरी हबीबी क्या करें
दिलने चाहे कुरबतों के पल हसीं
काम ना आइ नसीबी क्या करें
जो कभी देखे नहीं रंजो अलम
देखें अब हालत अजीबी क्या करें
तल्खीयों का दौर हरसू छा गया
उसने बरती है रकीबी क्या करें
अब दुआसे कामलें अहले मरिज
हो गइ मुश्कील तलीबी क्या करें
ऐसी मासूम हमने ना देखी कभी
इस तरह की बे अदिबी क्या करें
मासूम मोडासवी