मौत की ज़ेब से चुराये है मैने
ज़िंदगी के कुछ लम्हे ,
ये लम्हे फिर से कहीं गुम ना हो जाये
ये लम्हे तुम्हे पोस्ट कर दूं !
कुछ लम्हे मूसलाधार बारिश बन बरसते है ,
कुछ लम्हे मेरे मन की दीवार पर यूँ ही पड़े हैं ,
ये दीवार ढह कर ना गिर जाए
ये लम्हे तुम्हे पोस्ट कर दूं !
ये लम्हे सितारे बन मेरे आसमान को सजा गए है !
कभी इन्हे बढा कर देखती हूँ तो कभी घटा कर ,
ये सितारे टूट कर ना बिखर जाए
ये लम्हे तुम्हे पोस्ट कर दूँ !
ये लम्हे शब्द बन गये है,
और शब्द इबादत ,
ये शब्द फिर से मौन ना बन जाये
ये लम्हे तुम्हे पोस्ट कर दूँ !
ये लम्हे मैने सपनो में बो दिए है ,
लम्हे फूल बन उग वो आये है ,
फिर यादों का एक जंगल सा बन गया
फिर ये लम्हे कायनात तक फैल गए
मेरी ये कायनात तुम्हे पोस्ट कर दूं !!
– भारती गावडे देसाई