मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत उपलब्ध कुल लाभों की उच्चतम सीमा लागू की गई है। विदेश व्यापार निदेशालय (डीजीएफटी)द्वारा कल शाम जारी की गई एक अधिसूचना में कहा गया है कि इस योजना के तहत किसी आईईसी धारक को दिए जाने वाला कुल लाभ 01.09.2020 से 31.12.2020तक की अवधि के दौरान किए गए निर्यातों के प्रति आईईसी पर 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा। इसके अलावा, यह भी सूचित किया गया है कि कोई भी आईईसी धारक जिसने 01.09.2020 से पहले एक वर्ष की अवधि के दौरान कोई निर्यात नहीं किया है या एक सितंबर या उसके बाद नई आईईसी प्राप्त की है, वे एमईआईएस के तहत कोई भी दावा प्रस्तुत करने के लिए हकदार नहीं होंगे। उपरोक्त उच्चतम सीमा अधोमुखी संशोधन के अधीन होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 01.09.2020 से 31.12.2020 तक की अवधि के दौरान एमईआईएस के तहत कुल दावा राशि सरकार द्वारा निर्धारित 5000 करोड़ रुपये के निर्धारित आवंटन से अधिक न हो।
यह अनुमान लगाया गया है किनिर्यातकों के एमईआईएस के तहत 98 प्रतिशत दावों पर इन परिवर्तनों से कोई असर नहीं पड़ेगा। ऐसे अप्रभावित निर्यातक, जो अपने उत्पादों के मूल्य निर्धारण में पहले ही एमईआईएस में भाग ले चुके हैं, उन्हें भी किसी परिवर्तन या अनिश्चितता का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि न तो उनके उत्पादों की कवरेज और न ही एमईआईएसकी दरों में कोई बदलाव होगा। एमईआईएसकी अंतिम तिथि को 4 महीने की अग्रिम सूचना भविष्य में मूल्य निर्धारण निर्णयों के लिए निश्चितता प्रदान करती है।