सार्वजनिक सूचना from Manav Infrastructure
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि राइट चैनल बिल्डकॉन एलएलपी के निदेशक/साझीदार 1. देवेंद्र हनुमान पांडेय, 2. ग्रीष्मा देवेंद्र पांडेय, 3. सुप्रिया देवेंद्र पांडेय, 4. संजय हनुमान पांडेय (सभी के पते: प्लॉट क्रमांक 402, ए-विंग, कॉसमॉस सी.एच.एस. लिमिटेड, लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स, अंधेरी-पश्चिम, मुंबई), मेरे मुवक्किल, जिनका नाम आशीष जे. शाह (इसके आगे “अधोहस्ताक्षरी” के रूप में संदर्भित), द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 34, 120-बी, 114, 409, 420, 465, 467, 468, 471, जो कि दंडनीय है, के तहत अडालज पुलिस स्टेशन, गांधीनगर, गुजरात में 2020 के आई-सीआर नं. 112160012001481 के तहत दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोपी हैं। एफआईआर का तथ्यात्मक विवरण यह है कि अधोहस्ताक्षरी मानव इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. का निदेशक है, जो कि भवन निर्माण के साथ-साथ भूखंड के क्रय-विक्रय और अन्य निर्माण परियोजनाओं की बिक्री का करते हैं। वह इन्फ्रास्ट्रक्चर और इस तरह का व्यवसाय कर रही अन्य कंपनियों में बतौर निदेशक अहमदाबाद में और उसके आसपास, मेहसाणा और बडोदरा में इस तरह के कारोबार में पिछले 15 साल से शामिल हैं। वह कंपनी, जिसमें हम निदेशक हैं, ने “बालाजी” के ब्रांड नाम के तहत कई आवासीय और वाणिज्यिक योजनाओं और शॉपिंग मॉल की योजनाओं की बिक्री है और हमारी विभिन्न कंपनियों की रेटिंग बी रही है। इस प्रकार, अधोहस्ताक्षरी और उसकी कंपनी को इस व्यवसाय में उच्च विश्वसनीयता, प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त है।
हमारे व्यवसाय के संबंध में अधोहस्ताक्षरी नियमित रूप से मुंबई आते रहते हैं। यह कि इस विवाद में उपरोक्त संदर्भित आरोपी एक दूसरे से संबंधित हैं और आरोपी की मुंबई में मेसर्स राइट चैनल बिल्डकॉन नामक एक साझेदारी फर्म है। जैसा कि इन सभी आरोपियों ने हमें सूचित किया था, वे भी इस तरह के निर्माण और अन्य परियोजना की गतिविधियों में शामिल हैं। अधोहस्ताक्षरी का कहना है कि उपर्युक्त बताए गए सभी आरोपियों ने एक दूसरे के साथ मिलकर अपने सामान्य आपराधिक उद्देश्य में सफल होने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी और अपनी आपराधिक साजिश के अनुसार सक्रिय रूप से अपने आपराधिक भूमिकाओं पर काम किया और शुरुआत से ही उनका इरादा धोखा और आपराधिक विश्वासघात था। उसके लिए देवेंद्र पांडेय ने आपराधिक साज़िश के तहत अधोहस्ताक्षरी से सितंबर 2018 के तीसरे सप्ताह में हमारे फार्म हाउस पर मुलाकात की, जो कि बंगला नंबर 1, श्री बालाजी उपवन, अंबापुर, आदिराज में स्थित है। और बैठक के दौरान आरोपी और अधोहस्ताक्षरी ने मुंबई में दो परियोजनाओं “ओशिवरा प्रोजेक्ट” और “भाटिया प्रोजेक्ट” के संबंध में आरोपी व्यक्तियों के साथ मुंबई में हुई पिछली बैठक के बारे में बातचीत की थी और आगे हमें बताया था कि उपर्युक्त उल्लेखित परियोजनाओं के कार्य आरोपी नंबर 6 और नंबर 7 की कंपनी को दे दिए गए हैं, और उस कंपनी में वह, अर्थात, उपर्युक्त संदर्भित आरोपी निदेशक के रूप में शामिल हैं और उसने हमें संबंधित प्राधिकार पत्र, अधिकार और अन्य दस्तावेजों की प्रतियाँ दिखाईं और जब हमने हमें उन दस्तावेजों की प्रतियां देने की मांग की, तो उन्होंने कहा कि वह इन दस्तावेजों को बाद में दे देंगे और बड़े निवेश के द्वारा अपने दोनों परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल होने पर जोर दिया। अधोहस्ताक्षरी के फार्म हाउस में हुई इस बैठक के दौरान, आरोपी ने अपने अलग-अलग मोबाइल फोन से अन्य सभी आरोपियों को फोन किया था और उनसे मेरी बातचीत करवाई और फोन पर बातचीत के दौरान अन्य सभी आरोपियों ने अधोहस्ताक्षरी को उपरोक्त दो परियोजनाओं में निवेश करने के लिए कहा था और हमें आश्वासन भी दिया था कि हम, शिकायतकर्ता, इस तरह की दो परियोजनाओं में निवेश करेंगे, तो हमें अत्यधिक धनवापसी और लाभ होगा। इस प्रकार, इस तरह के आश्वासन और बातचीत को उस बैठक के दौरान भी आरोपी द्वारा व्यक्तिगत रूप से दोहराया गया। फलस्वरूप, हम इस तरह की लुभावनी बातचीत और प्रस्तावों में फंस गए, लेकिन उस समय भी सभी आरोपी हमें धोखा देने और हमारे साथ विश्वासघात करने की अपनी पूर्व नियोजित साजिश पर काम कर रहे थे।
यह कि अधोहस्ताक्षरी ने आगे कहा है कि इस तरह की आकर्षक बातचीत और सहमति के अनुसार और अभियुक्तों के कहने पर, अधोहस्ताक्षरी उन दो परियोजनाओं में निवेश करने के लिए तैयार हो गए और 28/09/2018 को चार्टर्ड अकाउंटेंट विक्की थार के कार्यालय 602, ए-विंग, एचडीआईएल कैलेडोनिया अंधेरी पूर्व, सहार रोड, मुंबई में 2 करोड़ रुपए नकद दिए। उस समय वहां दो व्यक्ति नेहाबेन और जिगरभाई, जो श्री विक्की थार के कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे, उपस्थित थे। यह धनराशि हमारे द्वारा अहमदाबाद में हमारे घर से हमारे आदमियों के माध्यम से बुलवा कर दी गई और आरोपी देवेंद्र पांडेय को व्यक्तिगत रूप से दी गई थी। धनराशि को स्वीकार करते हुए भी, आरोपी ने अन्य सभी आरोपियों की ओर से हमें फिर से आश्वस्त किया कि हमें उक्त धनराशि पर आकर्षक धनवापसी और लाभ मिलेगा, जो हमने उन्हें दो परियोजनाओं के लिए दिया था और हमें उनके आश्वासन पर विश्वास और भरोसा करने के लिए कहा था। उस समय, यानी, 28/09/2018 को, समझौता ज्ञापन के बारे में यह बताया गया था और हमारे पास एक 100 रुपए का स्टैम्प पेपर था, जो हमने अपनी कंपनी के नाम से खरीदे थे, और हमने मेसर्स राइट चैनल बिल्डकॉन एलएलपी और मेसर्स मानव इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के बीच समझौता ज्ञापन तैयार किया। उस समझौता ज्ञापन पर आरोपी ने मेसर्स राइट चैनल बिल्डकॉन एलएलपी के भागीदारों में से एक के रूप में हस्ताक्षर किए थे और 2 करोड़ रुपए नगद प्राप्त करने की रसीद भी दी थी।
आरोपी ने उस रसीद पर हस्ताक्षर किए थे और जिगरभाई और नेहाबेन ने भी गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए थे। समझौता ज्ञापन के मसौदे के अनुसार, 2 करोड़ रुपए “ओशिवरा प्रोजेक्ट” के लिए था और 1 करोड़ रुपए “भाटिया प्रोजेक्ट” के लिए दिए गए। जैसा कि उल्लेख किया गया है, 1 करोड़ रुपए की रकम हमारी कंपनी द्वारा दिनांक 1/11/2018 को एक्सिस बैंक लिमिटेड की मुंबई, गोविंदनगर शाखा से मेसर्स राइट चैनल बिल्डकॉन एलएलपी के एचडीएफसी बैंक के वड़ोदरा शाखा के हमारे खाता क्रमांक 918020058630792 से आरटीजीएस के ज़रिए आरोपी के खाते में हस्तांतरण की गई थी। उपर्युक्त दो परियोजनाओं “ओशिवरा प्रोजेक्ट” और “भाटिया प्रोजेक्ट” का कार्य मेसर्स एफ़कॉन डेवलपर्स को सौंपा गया था, जो कि एफआईआर के अनुसार आरोपी नंबर 6 और 7 की कंपनी है और आरोपी नंबर 1 देवेंद्र पांडे भी उस कंपनी में निदेशक है। इस संबंध में दस्तावेज हमें हमारे अहमदाबाद फार्म हाउस में हमारी बैठक के दौरान आरोपी नंबर 1 द्वारा दिखाए गए थे, लेकिन जब हमने उस दस्तावेज की एक प्रति मांगी तो हमें यह कहकर मना कर दिया गया कि एमओयू पर हस्ताक्षर करते समय इसकी प्रतियां दी जाएंगी, लेकिन एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद जब दोबारा इन दस्तावेजों की प्रतियों की मांग की गई तो आरोपी नंबर 1 ने यह कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया कि वर्तमान में प्रति उनके पास नहीं है लेकिन हमें आश्वासन दिया गया था कि प्रति बाद में हमें दे दी जाएगी। हमारे द्वारा बार-बार मांगे जाने के बावजूद, आज तक, वे दस्तावेजों हमें नहीं दिये गए, जिससे स्पष्ट होता है कि अहमदाबाद में हमारे फार्म हाउस पर हुई बैठक में आरोपी नंबर 1 के साथ हमारी बातचीत में बताए गए दस्तावेज झूठे और जाली थे और इस तरह के झूठे और जाली दस्तावेजों के पीछे इरादा केवल हमें धोखा देना और हमारे साथ विश्वासघात करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था और शुरुआत से ही सभी आरोपी इन दस्तावेजों के झूठ और जालसाजी के बारे में जानते थे। इसके बावजूद वे हमें धोखा देने और हमारे साथ विश्वासघात की एक बड़ी साजिश के हिस्से के रूप में इसका इस्तेमाल सत्य और वास्तविक बताकर कर रहे थे। उपरोक्त उल्लेखित एमओयू के अनुसार, एफआईआर में आरोपी देवेंद्र पांडेय और संजय पांडेय ने आवश्यक अनुमति प्राप्त करने की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन जैसा कि सभी आरोपियों का इरादा हमें धोखा देने और विश्वासघात करने का था, उन्होंने जानबूझ कर अनुमति प्राप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया और ऐसी अनुमति के अभाव में उक्त परियोजनाओं में से किसी का कार्य शुरू नहीं किया गया। इस प्रकार, ये स्पष्ट है कि शुरुआत से ही आरोपियों का इरादा हमें धोखा देने का था, हमारे साथ विश्वासघात करने का था और इसलिए उन्होंने हमसे 3 करोड़ रुपए लिए और एमओयू में उल्लेखित परियोजनाओं से संबंधित किसी भी कार्य की शुरुआत कभी भी नहीं की गई, क्योंकि आरोपियों का ऐसा कोई इरादा कभी नहीं था।
यह कि अधोहस्ताक्षरी ने नियमित रूप से और नियमित आवृत्ति के साथ, व्यक्तिगत मुलाकात के साथ-साथ फोन पर भी, आरोपी के साथ इस बारे में बातचीत करता रहा, लेकिन सभी आरोपियों ने कभी भी उसे स्पष्ट रूप से कोई जवाब नहीं दिया और घुमा-फिरा कर बात करते रहे, क्योंकि उनका एकमात्र इरादा अपराध करना और अधोहस्ताक्षरी से मोटी राशि हड़पने का था, जो एक बार उन्हें मिल गई तो उन्होंने उक्त परियोजना को शुरू करने के लिए कभी कोई कार्य नहीं किया। बाद में, जब अधोहस्ताक्षरी ने आरोपियों से धनराशि, जो उन्हें हमारे द्वारा दी गई थी, को एमओयू में निर्धारित ब्याज समेत वापस करने के संबंध में मुलाकात की, तो संजय पांडेय ने हमें आश्वासन दिया कि उक्त 3 करोड़ रुपए ब्याज सहित उसी वर्ष गणेश चतुर्थी के बाद वापस कर दिए जाएंगे और संजय पांडे ने बाकी सभी आरोपियों से बातचीत करने के बाद हमें ऐसा आश्वासन दिया था। यह कि अधोहस्ताक्षरी ने आगे कहा कि 3 करोड़ रुपए, जैसा कि उपरोक्त विवरण में उल्लेखित है, लेने के बाद आरोपियों ने न तो किसी परियोजना का कार्य शुरू किया है और न ही उस संबंध में कोई दृश्य प्रयास किए हैं और उस परिस्थिति में यदि परियोजनाएं शुरू नहीं हुई हैं, तो एमओयू के अनुसार अधोहस्ताक्षरी को निवेश की गई राशि को निर्धारित ब्याज के साथ वापस किया जाना चाहिए था। लेकिन चूंकि अधोहस्ताक्षरी को कोई पैसा नहीं लौटाया गया, उसके बाद दिनांक 10/10/2019 को मेसर्स एफकॉन डेवलपर्स प्रा.लि. को नोटिस जारी किया गया। इसके बाद 26/10/2019 को हमें एक लापरवाही भरा और टाल-मटोल वाला जवाब भेजा गया और कहा गया कि देवेंद्र पांडेय और संजय पांडेय को निदेशक के रूप में लिया गया था, लेकिन जैसा उन्होंने वादा किया था, वैसा कार्य नहीं किया, उनको उनके पैसे वापस कर दिए गए। और जब देवेंद्र पांडेय को इस संबंध में नोटिस जारी किया गया, तो उन्होंने बहुत ही लापरवाही से और टाल-मटोल वाला जवाब दिया कि उन्हें इस तरह के किसी भी एमओयू पर हस्ताक्षर करने की बात याद नहीं है और अगर उन्हें कोई ऐसा दस्तावेज मिलता है तो वह हमें बताएंगे और उन्होंने अपने भाई संजय पांडे की ओर से भी इसी तरह का जवाब दिया। उपरोक्त सभी तथ्य, अपने दुर्भावनापूर्ण और बुरे इरादों को कार्यान्वित करने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर सभी आरोपियों की बड़ी, पूर्व-नियोजित साजिश की ओर इशारा करते हैं जो उक्त परियोजनाओं के नाम पर आश्वासन और वादा करके 3 करोड़ रुपए ऐंठने की धोखाधड़ी करके अपनी अपनी आपराधिक भूमिका निभा रहे हैं और बाद में इरादतन उक्त परियोजनाओं पर काम नहीं किया और ऐसी किसी भी परियोजना को शुरू करने के लिए काम भी नहीं कर रहे हैं और इस पर सहमत होने के बावजूद हमारी निवेश की गई धनराशि को वापस नहीं कर रहे हैं। यह भी बताया गया है कि उपरोक्त उल्लेखित आरोपी व्यक्तियों ने एफआईआर के अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात करने के लिए साजिश रची है और अधोहस्ताक्षरी को 3 करोड़ रुपए से अधिक का धोखा दिया है और यह कि अधोहस्ताक्षरी को पता चला है कि उपर्युक्त उल्लेखित आरोपी व्यक्ति अधोहस्ताक्षरी के साथ गंभीर आपराधिक कृत्य/ वादाखिलाफी में शामिल हैं और इसलिए सभी संबंधित व्यक्तियों की जानकारी में लाया जा रहा है कि उपर्युक्त संदर्भित कारणों से उक्त आरोपियों को किसी भी तरह के वाणिज्यिक/ व्यवसायिक लेनदेन में शामिल न करें।
From:
निमित वाई शुक्ला
एडवोकेट
यह सार्वजनिक सूचना मेरे मुवक्किल के निर्देशों के तहत तैयार की गई है।