सितार वादक विदुषी मंजू मेहता
ऐसी कोई स्त्री मैंने नहीं देखी जो 75 वर्ष की उम्र में भी आला दरजे का सितार बजाती हो। मेरी मुराद अहमदाबाद की विदुषी मंजू नंदन मेहता से है। कमाल की कलाकार हैं मंजू जी। वह किसी की नक़ल नहीं करतीं। उनका अपना मिज़ाज है। रागदारी को निभाने का अपना अंदाज़ है। आलाप से लेकर अति द्रुत तक सहज बने रहना कितना कठिन है इसे हर साधक जानता है। मंजू मेहता पं.रवि शंकर की शिष्या हैं।
सब जानते हैं सितार दाहिने हाथ की तर्जनी उँगली (Index Finger) से बजाया जाता है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि मंजू जी मध्यमा उँगली (Middle Finger) का इस्तेमाल करती हैं। दरअसल किसी चोट के कारण उन्हें तर्जनी के तमाम अभ्यास को मध्यमा उँगली पर शिफ़्ट करना पड़ा। कोई भी साधक समझ सकता है यह कितना दुष्कर कार्य है। एक तरह से दूसरा जन्म लेने जैसा है।
कुछ बरस पहले पंडित नंदन मेहता के असमय चले जाने के बाद उन्होंने जिस तरह अपने परिवार को सँभाला और साथ-साथ ‘सप्तक’ जैसी अन्तरराष्ट्रीय ख्याति-प्राप्त संस्था की गतिविधियों की बागडोर को नियंत्रण में लिया उसके लिए मेरे सामने किसी अन्य स्त्री की कोई मिसाल नहीं। वह अपूर्व गुरु भी हैं।